Tuesday, November 18, 2008

अंजनी कुमार सिन्हा

मेरा नाम अंजनी कुमार सिन्हा है! मैं भारत देश के बिहार राज्य में स्थित गया शहर का रहने वाला हूं! मैं अभी भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित जवाहर लाल नेहरु विश्वविधालय में स्थित भाषा विधालय के कोरियाई भाषा केन्द्र से कोरियन भाषा सिख रहा हूं! मैं अभी द्वितीय वर्ष में हूं! मैं जवाहर लाल नेहरु विश्वविधालय में २००७ में आया हूं! इसके पहले मैं अपने घर में रहता था और मैने वहीं से अपनी बारहवीं तक पढाई की थी और उसके बाद मैं जे.एन.यू आ गया! मेरे परिवार मे कुल ६ लोग हैं! मैं ,मेरा छोटा भाई,मेरी छोटी बहन,मेरे पिताजी,मेरी माताजी और मेरी दादी मां! मेरे पिता जी व्यावसाय करते हैं और मेरी मां एक घरेलू औरत हैं! मेरा जन्म १५ फ़रवरी १९८८ को हुवा था! मैं अभी २० साल का हूं! मैं कोरियाई भाषा सिखकर किसी अच्छी विश्वविधलय में कोरियाई भाषा का शिक्षक बनना चाहता हूं! मुझे गाना सुनना और हिन्दी कविताएं पढना अच्छा लगता है! मुझे खाने में खीर और आलू का पराठा बहुत अच्छा लगता है!

निवास शहर

मैं बिहार राज्य के गया शहर का रहने वाला हूं! गया बिहार राज्य के ऊत्तर दिशा में स्थित है! गया पूरे भारत देश में हीं नहीं सारी दुनिया में दो स्थानो के लिए बहुत मशहुर है! वह दो स्थान बोधगया और विष्णुपद मन्दिर के लिए बहुत मशहुर है! बोधगया जहां भगवान बुद्धा ने ज्ञान प्राप्त की थी और विष्णुपद मंदिर वह स्थान जहां भगवान विष्णु के चरन उपस्थित है, जिसे लोग पूजा करने के लिए देश के कोने-कोने से आते हैं! गया में एक और मशहूर स्थान है जो भारतवासियों के लिए बहुत माएने रखता है! वह स्थान एक नदी है, उसका नाम फल्गु नदी है! ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने पिता जी भगवान दशरथ को पिंड दान किया था! इस कारन से यहां हर साल दह्शरे के तुरंत पहले पित्रपक्ष मेला होता है, जिसमे देश के हर कोने से लोग अपने पूर्वजों को पिंड दान करने के लिए आते हैं! वैसे यह भी मश्हूर है कि इस नदी में कभी पानी नहीं होता है और यह सच भी है! इस नदी मेम केवल बरसात के हीं मौसम में हीं पानी होता है! गया में कुछ प्रमुख कालेज हैं जो बोधगया में स्थित मगध विश्वविधालय से संबधित हैं! जिनमे गया कालेज प्रमुख है! गया एक पठारी शहर होने के कारण यहां पर गरमीयों में पानी की दिक्क्त होती है! गया बिहार की राजधानी पटना से कुछ हीं किलोमीटर पर स्थित है! इस शहर का नाम ‘गया’ इसलिए रखा गया क्योंकि भगवान विष्णु ने यहीं के धरती पर रक्षश गयाशुर का वध किया था! गया तभी से भारत के प्रमुख तीर्थस्थानो मे आता है! भरत मे यह कहावत है कि सारा तीर्थस्थान घूम लिए लेकिन गया नहीं गए तो सारा पुण्य अधूरा है!

जवाहर लाल नेहरु विश्वविधालय

जवाहर लाल नेहरु विश्वविधालय भारत में सबसे से प्रथम स्थान पर है! इस विश्वविधालय का नाम हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम पर रखा गया है! यह विश्वविधालय रिसर्च विश्वविधालय के नाम से ज्यादा मशहुर है! यहां विभिन्न तरह की उच्च विषयों की पढाई होती है! इस विश्वविधालय में सारा विषय एम.ए से होता है सिर्फ विदेशी भाषाएं स्नातक से पढाई जाती है! विदेशी भाषाओं मे यहां यूरोपीयाई और एशियाई भाषाएं पढाई जाती है! जे.एन.यू में लोग सिर्फ अपने देश से हीं नहीं बल्की सारी दुनिया से लोग पढने के लिए आते हैं! यह एकमात्र ऐसी विश्वविधालय है जिसमे गरीब छात्र भी उच्च शिक्षा कम खर्च मे पा सकता है! जे.एन.यू अरावली पर बसा हुआ है! अरावली पर बसे होने के कारण यह चट्टानो और जंगलो से घिरा हुआ है और इस कारण से जे.एन.यू का वातावरण बहुत प्राक्रितीक है! यहां लगभग ५५०० विधार्थी हैं और इस विश्वविधालय कि यह खूबी है कि सारे विधार्थीयों के रहने के लिए छात्रावास भी है! यहां कुल १६ छात्रावास हैं! छात्रावासों में सबसे अच्छा छात्रावास माही-मान्डवी को माना जाता है,क्योंकि यह छात्रावास हमेशा कुछ न कुछ अच्छे कामो के लिए चर्चा में रहता है! यहां की एक और खूबी यह भी है कि यहां के छात्रसंघ का चुनाव सारे विश्वविधालयों से अलग है! यहां पर छात्र खुद चुनाव कराते हैं और यहां का चुनाव सबसे ज्यादा स्वच्छ तरीके से होता है! यहां के चुनाव पर देश के राजनीतकारो का भी नजर रहता है!

जे.एन.यू की भाषा विधालय

जवाहर लाल नेहरु विश्वविधालय में तो बहुत सारे स्कूल हैं लेकिन इनमे भाषा विधालय का एक अलग हीं स्थान है! यह विधालय लाईर्बेरी के नजदिक स्थित है! यह एक मात्र जे।एन।यू में विधालय है जहाँ स्नातक से पढाई चालू होती है और इस विधालय में और विधालय की अपेक्षा छात्र का नामांकन भी ज्यादा होता है! इस विधालय में सिर्फ भाषा की पढाई होती है, चाहे वह भारतीय भाषा हो या विदेशी! यहाँ भारतीय भाषाओं में हिन्दी,ऊर्दू की पढाई होती है और विदेशी भाषाओं मे रसियन,जर्मन,फ्रेंच,एसपैनिश,अरबी,परसियन,चाईनीज,कोरियन,जैपनिज आदि भाषाओं की पढाई होती है! यह विधालय सारे जे.एन.यू में काफी मशहूर है! यहाँ हमेशा किसी न किसी भाषा केन्द्र का कार्यक्रम चलता रहता है! यह एक एसा विधालय है जहाँ छात्र मात्र स्नातक के बाद हीं अच्छी-अच्छी नौकरीयां पाकर देश और विदेश में काम करने के लिए चले जाते हैं! इस विधालय में पढाए जाने वाले भाषाओं का एक यह भी सबसे महत्वपूर्ण खूबी है कि अपने भाषा संबधित देश में जाकर छात्रव्रिति के द्वारा आप अपनी पढाई विदेश से भी कर सकते हैं! इस विधालय में पढाई के साथ-साथ यहाँ के छात्र खेल-कूद में भी काफी रुची लेते हैं! इस विधालय में हर साल ‘कलोल’ नाम का एक कार्यक्रम होता है,जिसमे इस विधालय के लगभग सारे छात्र भाग लेते हैं! अभी इस विधालय के डीन प्रो. वर्याम सिंह हैं, जो रसियन भाषा के शिक्षक हैं!

कोरियाई भाषा

मैं २००७ वर्ष से जे.एन.यू में स्थित जैपनिज और कोरियाई भाषा केन्द्र का छात्र हूँ! मैं कोरियाई भाषा का छात्र हूँ! मैं अभी कोरियाए भाषा के द्वितीय वर्ष में हूँ! कोरियाई भाषा एशिया महाद्विप की सबसे नई भाषा मानी जाती है और यह जे.एन.यू में भी पढाई जाने वाली सबसे नई भाषा है! भाषा विधालय के सारे भाषा में पी.एच.डी तक पढाई होती है लेकिन सिर्फ कोरियाई भाषा हीं एक एसी भाषा है जो सिर्फ एम.ए हीं तक है! कोरियाई भाषा की खोज १४४३ में किंग सेजोन ने किया था, इसके पहले वहाँ के लोग चाईनीज भाषा बोला करते थे! इसीका प्रभाव है कि आज भी कोरियाई भाषा में चाईनीज का प्रयोग होता है! भारत में सिर्फ जे.एन.यू हीं एक एसी विश्वविधालय हैं जहाँ कोरियाई भाषा में स्नातक होता है! कोरियाई भाषा सिर्फ दो देशों में हीं बोली जाती है, दक्षिण कोरिया और ऊतर कोरिया! कोरियाई का भाषा का व्याकरण का जो रुल है वो पुरी तरह हिन्दी से मिलता जुलता है, जिसके कारण भारत्वासियों को कोरियाई भाषा सिखने में कुछ आसान लगता है! कोरियाई भाषा में शुभप्रभात को ‘अन्यौंहासिम्निका’ कहते हैं!

मेरा प्रिय खेल

मैं ऐसे तो बहुत सारे खेल पसंद करता हूँ, लेकिन सारे खेलों में से मुझे सबसे अच्छा खेल क्रिकेट लगता है! मुझे बचपन से हीं क्रिकेट से बहुत लगाव रहा है! मैं जब भी किसी को क्रिकेट खेलते देखता हूँ, तो मुझे भी खेलने का मन करता है! लेकिन अब पढाई का भोज बहुत होने के कारण कभी-कभी हीं खेल पाता हूँ! मैं इस खेल में बल्लेबाजी भी कर लेता हूँ, गेंदबाजी भी कर लेता हूँ! मै जब स्कूल में पढा कर था, तब अपने दोस्तों के साथ किसी तोहफा पर मैच लगाकर खेला करते थें! लेकिन अब खेल तो नहीं पाते हैं लेकिन भारत का जब भी मैच चल रहा होता है, समय निकालकर जरुर देखता हूँ! मुझे क्रिकेट खिलाङियों में सबसे अच्छा यिवराज सिंह लगता है, क्योंकि उसका बल्लेबाजी करने जो तरीका है वह सबसे अलग है!

छठ

छठ पर्व हिन्दू धर्म का एक सबसे पवित्र पर्व माना जाता है! लेकिन यह सारे भारत में नहीं, बल्कि कुछ राज्यों में बहुत जोर-सोर से मनाया जाता है! यह वैसे बिहार और ऊतर प्रदेश वासियों का सबसे प्रमुख और पवित्र पर्व है! यह पर्व हर वर्ष हिन्दी कैलेंडर के अनुसार कातिक महीना में आता है! इस पर्व में भक्तगन तीन दिन्तक लगातार बिना खाए-पिए सूर्य भगवान की अराधना करते हैं! इस पर्व में भक्तगन पानी में उतरकर भगवान सूर्य को फलों और दूध से अरग देते हैं!

एक लोकप्रिय नेता (पं. जवाहर लाल नेहरु)

पं. जवाहर लाल नेहरु का जन्म १४ नवम्बर १९८९ को हुआ था! क्योंकि जवाहर लाल नेहरु को बच्चो से काफी लगाव था, इसलिए उनके जन्मदिवस को बाल दिवस के रुप में मनाया जाने लगा! उनकी प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में और उच्च शिक्षा इंगलैंड में हुई! १९१६ ई० में नेहरु जी का विवह कमला नेहरु से हुआ! पं. जवाहर लाल नेहरु एक महान स्वतंत्रता सेनानी थें! वे महात्मा गाँधी के अनुयायी थें! इसलिए वे सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के भी अनुयायी थें! स्वतंत्र भारत के वह प्रथम प्रधानमंत्री बनें! उनकी प्रमुख पुस्तह है ‘आत्मकथा’, जो साहितीक कला का अभूतपूर्व प्रस्तुतीकरण है! और इनके हीं नाम पर भारत की सर्वश्रेठ विश्वविधालय का निर्माण १९६९ में हुआ!

भारत

भारत सारे संसार में एक सबसे बङा प्रजातांत्रिक देश के नाम से जाना जाता है! यह एक ऐसा देश जहाँ कि बहुत सारे धर्म के लोग साथ मिलजुलकर रहते हैं! भारत विश्व में क्षेत्रफल के अनुसार सातवें और जनसंख्या के अनुसार दूसरे स्थान पर आता है! इस देश में ३१ राज्य हैं और लगभग १६०० भाषाएं बोली जाती है! यह अपने चारो तरफ से पङोसी देशों से घिरा हुआ है, जो हमेशा भारत को नुकसान हीं पहुचाना चहती है! भारत की राजधानी नई दिल्ली है! यह शहर सारे संसार मे बहुत मसहूर है! इस देश में एक राज्य है, जिसकी राजधानी ‘मुम्बई’ है, जो भारत की फिल्म उधोग शहर के नाम से मशहूर है! भारत में ऐसे तो बहुत से पहाङ और नदियाँ हैं, लेकिन उनमें सबसे ज्यादा मशहूर ‘कंचनजंघा’ है और नदियों में ‘गंगा’ है!

भारत का आम चुनाव

भारत एक घनी जनसंख्या वाला देश है और प्रजातांत्रिक देश है! इसलिए यहाँ का आम चुनाव इस देश का सबसे बङा त्योहार है! यहाँ की राजनीती सिर्फ चुनाव जीतना होता है, न कि जीतकर जनता के लिए कुछ काम भी करें! यहाँ के राजनेता अपने जीत के लिए कुछ भी कर सकते हैं, चाहे वह जनता के भले में हो या बुरे में! यहाँ के राजनेता सिर्फ चुनाव के समय जनता के पास हाथ जोङकर जाते हैं और वोट माँगते हैं! लेकिन जीतने के बाद सिर्फ अपने फाएदे के बारे मेम सोचते हैं, इसलिए भारत देश इतनी बङी जनसंख्या होते हुए भी अभी प्रगतीशील देशों की गिनती में आता है!

शिक्षक

शिक्षक को हमारे समाज में सर्वप्रथम स्थान दिया गया है! शिक्षक हमारे सफल भविष्य को बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भाग अदा करते हैं! यही वह मनुष्य होते हैं जो हमें सही राह पे चलने का मार्गदर्शण देते हैं! शिक्षक अपने विधार्थीयों को अपने से भी उच्चे रुतवे पर पहुँचाने के लिए अपना सारा ज्ञान छात्रों को दे देते हैं! हमलोग हर साल ५ सिप्तम्बर को शिक्षक दिवश मनाते हैं!

मेरा शौख

मेरा शौख तो ऐसे तो बहुत कुछ है लेकिन हिन्दी गाना और रोमांचक किताबे पढना है! मेरे पास जब भी खाली समय होता है, मैं या तो फिल्म देखता हूँ या तो गाना सुनता हूँ! लेकिन जबसे जे.एन.यू में पढने आया हूँ, मेरा यह सारे शौख कहीं लुप्त हो गए हैं! क्योंकि यहाँ पढाई हीं का इतना बोझ होता है कि ये सब करने का फुरसत हीं नहीम मिलता है!

माही-माण्डवी छात्रावास

मैं जे.एन.यू में स्थित लङकों के छात्रावास माही-माण्डवी छात्रावास में रहता हूँ! यह छात्रावास जे.एन.यू का सबसे बङा छात्रावास है क्योंकि यह छात्रावास दो छात्रावास से मिलकर बना है! माही और माण्डवी दो छात्रावास को एक साथ मिलाकर एक छात्रावास बनाया गया है! पहले यह छात्रावास माही और माण्डवी दो अलग छात्रावास हुआ करता था! हर छात्रावास की तरह इस छात्रावास में भी हर छात्रावास अध्यक्ष का चुनाव होता है! इस साल २००८ में इस छात्रावास का अध्यक्ष बिना किसी चुनाव के हीं जीत गया! इस छात्रावास में कुल ३७० छात्र हैं! यहाँ सारे छात्र आपस में मिल जुलकर रहते हैं! यह छात्रावास पूरे जे.एन.यू में एक सबसे उमंग और जोसीले छात्रों के नाम से जाना जाता है! यहाँ के मेस का खाना सारे छात्रावास में सबसे अच्छा है, एसा माना जाता है! इस छात्रावास में सारे विषयों के छात्र एक साथ मिलकर रहने से एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखने को मिलता है! य़हाँ छात्रों की सुविधाओं के लिए अनेक तरह के खेलने के समान उपस्थित हैं, जब भी आपका मन नहीं लग रहा हो आप टी.वी देख सकते हो, टी.टी खेल सकते हो, बैडमीन्टन खेल सकते हो! यह दो छात्रावास को एक साथ मिलाकर बनाया गया है लेकिन यहाँ के छात्रों में कभी यह भावना नही होती है कि मैं माही छात्रावास का रहने वाला हूँ और मेरा दोस्त माण्डवी छात्रावास का रहने वाला है! यहाँ तक की यहाँ के छात्र चुनाव में भी मेस सेक्रेटरी और छात्रावास कमेटी में ६-६ लोग होतें हैं और यह छात्रावास में यह नियम है कि ३ लोग माही छात्रावास से और ३ लोग माण्डवी छात्रावास से होने चाहिए! फिर भी चुनाव के दौरन भी यहाँ पर कोई मतभेद नहीं होता है! इस छात्रावास कि एक और यह सबसे बङी खूबी यह भी है कि लोग यहाँ सारे धर्म के त्योहार आपस में मेल जुलकर मनाते हैं, चाहे वह मुसलमानों भाईयों का पर्व ईद हो या हिन्दू भाईयों का दिवाली हो या दशहरा हो, सारे पर्व साथ-साथ मिलकर मनाते हैं!

जे.एन.यू की छात्र राजनीती

जवाहर लाल नेहरु विश्वविधालय सारे संसार में एक अलग हीं स्थान रखता है, चाहे यहाँ की पढाई की बात हो या यहाँ के शिक्षकों की! लेकिन इस सबसे ऊपर यहाँ की छात्र राजनीती पूरे देश में एक सबसे अच्छा और स्वच्छ राजनीती में देखा जाता है! ऐसे तो भारत में बहुत सी विश्वविधालय हैं, जहाँ छात्र राजनीती होती है मगर जे.एन.यू की तरह छात्र राजनीती कहीं भी होना मुश्किल है! यहाँ की सबसे बङी खूबी यह कि लगभग सारे छात्र यहाँ की राजनीती में रुची लेते हैं और पूरी जोर-सोर से चुनाव में भाग लेते हैं! यही कारण है कि यहाँ पर चुनाव में कभी धांधली नहीं होती है! जबकि भारत के और दूसरी विश्वविधालयों में चुनाव लगभग उसी तरह से होता है, जैसे हमारे देश में आम चुनाव होता है! यहाँ और दूसरे विश्वविधालयों की तुलना यह सबसे बङी खूबी है कि यहाँ का छात्रसंघ चुनाव यहाँ के छात्र हीं कराते हैं, जबकि और जगहों पर उस विश्वविधालयों का प्रशासन चुनाव कराता है! यहाँ चुनाव कराने के सबसे जो फिल्हाल जे.एन.यू छात्रसंघ का अध्यक्ष होता है, वह अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराने के लिए सारी संगठनों का एक मींटींग बुलाकर चुनाव की प्रक्रिया के बारे में विचार-विमर्श करता है और उसके बाद आम छात्रों में से चुनाव कराने के लिए कुछ छात्रों को चुना जाता है, उसके बाद चुनाव की आगे की प्रक्रिया फिर सारा चुनाव निगम संभालता है! यहाँ के चुनावों में लगभग ९ य १० संगठन लङते हैं पर मगर प्रमुख रुप से ए.बी.वी.पी, एन.एस.यू.आई, आईसा, एस.एफ.आई, वाई.एफ.ई हीं प्रमुख संगठन हैं, जो सारे कैंपस में छाए दिखते हैं! यह विश्वविधालय जबसे स्थापित हुआ तबसे यहाँ पर कम्नीस्टों शासन देखा गया है, इनमें सबसे ज्यादा एस.एफ.आई का छाप देखा गया है, जो भारत की कम्नीस्ट पार्टी का छात्रसंगठन है! दरसल सी.पी.आई के जो सबसे बङे नेताओं में आते हैं वह भी इसी विश्वविधाल में पढा करते थें और यहीं से राजनीती भी चालू की थी! मैं बात कर रहा हूँ सीताराम येचूरी और प्रकाश करात की! लेकिन आजकल एस.एफ.आई का दिन अच्छा नही चल रहा है! पिछले लगभग एक सालों से आईसा नाम की एक नक्शल छात्रसंग छाई हुई है! जे.एन.यू की छात्रसंघ के चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी एक हीं संघठन ने जे.एन.यू के छात्रसंघ के चारो के चारो सीटों पर विजय हासिल की थी! लेकिन हमारे विश्वविधालय का दुर्भाग्य देखिए कि २००८ का छात्रसंघ चुनाव आधे हीं में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रोक लगा दिया गया! इसलिए अभी भी छात्रसंघ के अध्यक्ष वहीं हैं जो २००७ में थें! यहाँ पर कम्नीस्टों का ज्यादा पकङ होने के कारण यहाँ पर छात्रों के लिए कोई प्लेसमेंट सेल की व्यावस्था नहीं है जिसके कारण यहाँ के छात्रों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पङता है! यहाँ के कम्नीस्टों का सबसे प्रचलित नारा है ‘ लाल सलाम’ और वह अपने साथियों को दोस्त नहीं ‘कौमरेड’ कहकर बुलाते हैं! ऐसे यहाँ की छात्रराजनीती पर लिखने के लिए बहुत कुछ पर इतना जे.एन.यू की छात्ररानीती की जानकारी के लिए काफी है!

Monday, November 17, 2008

सरस्वती पूजा

वसंत मौसमों का राजा है! इस मौसम में न तो अधिक गर्मी पङती है और नहीम अधिक ठंडी पङती है!इसी आन्नदपूर्ण मौसम में सरस्वती पूजा का आगमन होता है! यह फरवरी महीने में और कभी-कभी मार्च की शुरुवात में पङता है! यह छात्रों का त्योहार है! वि इस विधा की देवी सरस्वती की पूजा करती हैं! सरस्वती माता की मूर्ती कई आदर्शों की अभिव्यक्ति करने वाली है!उनकी सफेद साङी सादगी और शुध्दता की प्रतीक है! हंस बुध्दी और विवेक का प्रतीक है! मोर सौंदर्य को व्यक्त करता है! वीणा जो वाधयंत्र है, संगीत की संवेदना का प्रतीक है! पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है! पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है!

यह त्योहार सामान्यत: विधालय, महाविधालय, छात्रावास और लॉज में मनाया जाता है! विधार्थी उस स्थान को अच्छी तरह सजाते हैं जहाँ सरस्वती देवी की मूर्ती स्थापित करनी होती है! हर छात्र आर्थिक रुप से और शरीर रुप से और शरीरिक रुप से भी कुछ-न-कुछ योगदान अवश्य करता है! छात्र सरस्वती माता की मूर्ती खरीदते हैं! वे उनके लिए वस्त्र और मौसमी फल भी खरीदते हैं! फिर पूजा अर्चना चालू की जाती है, और उसके बाद छात्रों और उपस्थित लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है! इस अवसर पर गुलाल भी लगाया जाता है! यह वसंत का रंग भी है! अगले दिन देवी की मूर्ती नदी में विसर्जित कर दी जाती है!