Monday, November 17, 2008

सरस्वती पूजा

वसंत मौसमों का राजा है! इस मौसम में न तो अधिक गर्मी पङती है और नहीम अधिक ठंडी पङती है!इसी आन्नदपूर्ण मौसम में सरस्वती पूजा का आगमन होता है! यह फरवरी महीने में और कभी-कभी मार्च की शुरुवात में पङता है! यह छात्रों का त्योहार है! वि इस विधा की देवी सरस्वती की पूजा करती हैं! सरस्वती माता की मूर्ती कई आदर्शों की अभिव्यक्ति करने वाली है!उनकी सफेद साङी सादगी और शुध्दता की प्रतीक है! हंस बुध्दी और विवेक का प्रतीक है! मोर सौंदर्य को व्यक्त करता है! वीणा जो वाधयंत्र है, संगीत की संवेदना का प्रतीक है! पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है! पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है!

यह त्योहार सामान्यत: विधालय, महाविधालय, छात्रावास और लॉज में मनाया जाता है! विधार्थी उस स्थान को अच्छी तरह सजाते हैं जहाँ सरस्वती देवी की मूर्ती स्थापित करनी होती है! हर छात्र आर्थिक रुप से और शरीर रुप से और शरीरिक रुप से भी कुछ-न-कुछ योगदान अवश्य करता है! छात्र सरस्वती माता की मूर्ती खरीदते हैं! वे उनके लिए वस्त्र और मौसमी फल भी खरीदते हैं! फिर पूजा अर्चना चालू की जाती है, और उसके बाद छात्रों और उपस्थित लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है! इस अवसर पर गुलाल भी लगाया जाता है! यह वसंत का रंग भी है! अगले दिन देवी की मूर्ती नदी में विसर्जित कर दी जाती है!

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